उत्तर प्रदेश के झांसी जिले के कुम्हरिया गांव में 24 जून 2024 को एक बुजुर्ग महिला सुशीला देवी (65) की संदिग्ध परिस्थितियों में हत्या कर दी गई। शुरूआती जानकारी के अनुसार, मामला डकैती का प्रतीत हुआ — घर की अलमारी से कीमती जेवर गायब थे और सुशीला देवी का शव उनके ही घर में बिस्तर पर पड़ा था।
शाम को जब उनके पति अजय राजपूत घर लौटे, तो दरवाज़ा बाहर से बंद मिला। अंदर सुशीला की लाश देखकर वे स्तब्ध रह गए। पुलिस को बुलाया गया, और मौके पर जांच शुरू हुई।घर में बाकी कोई सदस्य मौजूद नहीं था — बड़ी बहू रागिनी 8 महीने से मायके में थी, और छोटी बहू पूजा ग्वालियर में अपने मायके गई हुई थी।
पुलिस को शुरू में लग रहा था कि डकैतों ने हमला कर लूटपाट की और हत्या कर दी। लेकिन जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ी, शक की दिशा बदलने लगी। पीड़ित परिवार के मुखिया अजय राजपूत ने बड़ी बहू रागिनी और उसके भाई पर हत्या की आशंका जताई — उन्होंने कहा कि सुशीला और रागिनी के संबंध अच्छे नहीं थे, और ये डकैती केवल एक बहाना हो सकता है।
लेकिन कुछ ही दिन में बड़ी बहू रागिनी खुद थाने पहुंच गई, और उसने अपने ऊपर लगाए सभी आरोपों को नकारते हुए खुद को पुलिस के सामने पेश कर दिया। उसने बताया कि वह इस हत्या से जुड़ी नहीं है, और अपने मायके में बच्चों के साथ रह रही है। उधर, छोटी बहू पूजा ने सास की मौत पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी, न ही वह अंतिम संस्कार में शामिल हुई — यहीं से पुलिस को शक हुआ।
पुलिस जांच: शक से कबूलनामे तक
पुलिस ने पूजा से पूछताछ करने के लिए ग्वालियर में दबिश दी और उसे हिरासत में लिया गया। पूछताछ के दौरान उसने पहले सवालों को टालने की कोशिश की, पर जब पुलिस ने साक्ष्य दिखाने शुरू किए तो वह टूट गई और उसने सास की हत्या की सुपारी देने की बात कबूल कर ली। पूजा ने बताया कि उसने अपनी बहन कामिनी और उसके प्रेमी अनिल वर्मा के साथ मिलकर पूरी योजना बनाई थी।
पूजा की जिंदगी पहले से ही जटिल थी। करीब 11 साल पहले उसकी शादी ओरछा के एक युवक से हुई थी, लेकिन दोनों के बीच रिश्ते ठीक नहीं रहे और तलाक का केस चल रहा था। इसी दौरान पूजा की मुलाकात झांसी निवासी कल्याण राजपूत से हुई, जो आपराधिक प्रवृत्ति का व्यक्ति था। दोनों लिव-इन में रहने लगे। कुछ समय बाद कल्याण की सड़क दुर्घटना में मौत हो गई।
इसके बाद कल्याण का परिवार — पिता अजय राजपूत और भाई संतोष — पूजा को अपने घर ले आए। यहां एक नया रिश्ता शुरू हुआ: पूजा और संतोष (जेठ) के बीच संबंध बन गए, और इनसे एक बेटी भी हुई। यह रिश्ता घर में किसी को पसंद नहीं था, खासकर सुशीला देवी को। बाद में पूजा ने घर की 8 बीघा जमीन पर दावा करना शुरू कर दिया। सास सुशीला ने इसका विरोध किया, जिससे पूजा नाराज़ हो गई और उसने सुशीला को हटाने की योजना बना ली।
हत्या की पूरी योजना
एक-एक कदम सोच-समझकर रखा गया। पूजा ने ग्वालियर जाकर अपनी बहन कामिनी और उसके प्रेमी अनिल वर्मा से संपर्क किया। दोनों को 8 बीघा जमीन में से आधा हिस्सा देने का वादा किया गया। बदले में उन्हें सुशीला की हत्या की सुपारी दी गई। लेकिन घर में सभी सदस्य मौजूद रहते तो हत्या करना मुश्किल था। इसलिए पूजा ने एक चौंकाने वाली योजना बनाई।
उसने अपने ससुर अजय को पोती का बर्थडे बताकर ग्वालियर बुला लिया। अपने जेठ संतोष को यह कहकर बुलाया कि वह फिर से गर्भवती है। जब घर पूरी तरह खाली हो गया, तभी कामिनी और अनिल झांसी पहुंचे। 24 जून को दोनों ने सुशीला को नशीला इंजेक्शन दिया और फिर गला घोंटकर हत्या कर दी। इसके बाद अलमारी से गहने और नकदी लेकर फरार हो गए।
जांच के बाद पूजा और कामिनी को पुलिस ने हिरासत में ले लिया। अनिल वर्मा फरार हो गया था, लेकिन कुछ दिन बाद पुलिस ने उसे झांसी के बघेरा इलाके में घेरकर पकड़ लिया । एनकाउंटर में अनिल के पैर में गोली लगी। उसके पास से करीब 8 लाख रुपये के जेवर बरामद हुए, जो सुशीला के घर से लूटे गए थे।
झांसी के इस हत्याकांड ने दिखा दिया कि कभी-कभी घर के भीतर ही सबसे बड़ा खतरा छिपा होता है। पूजा की कहानी एक महिला की नहीं, बल्कि उन विकृत रिश्तों की है जो लालच, अधिकार और अस्वीकार किए गए प्रेम के बीच अपराध में बदल जाते हैं। पुलिस का कहना है कि पूजा ने हत्या की योजना इतनी सूक्ष्मता से बनाई कि यह एक आम डकैती लगे। लेकिन रिश्तों की गहराई में छिपा झूठ आखिरकार सामने आ गया।
इस केस से जुड़ी प्रमुख बातें:
- हत्या का मुख्य कारण था संपत्ति विवाद और पारिवारिक मतभेद।
- पीड़ित महिला की हत्या में उसके ही परिवार के सदस्य शामिल थे।
- हत्या को डकैती की आड़ देने की कोशिश की गई।
- परिवार के भीतर के विवादों ने हत्या को अंजाम दिया।